Byju Salary Crisis: देश की दिग्गज एडटेक कंपनी बायजू (Byju) अब इस हालत में आ चुकी है कि वह कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं बांट पा रही थी. हालांकि, कंपनी को इस संकट से निकालने के लिए बायजू के फाउंडर ने भावुक कदम उठाते हुए अपने घर गिरवी रख पैसा इकठ्ठा किया और कर्मचारियों की वेतन देना शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के लगभग 15 हजार कर्मचारियों को सोमवार को वेतन दे दी गई. 


दो घर और एक विला गिरवी रखा 


जानकारी के अनुसार, कंपनी के फाउंडर बायजू रविंद्रन (Byju Ravindran) ने अपने बेंगलुरु स्थित दो घर और एक निर्माणाधीन विला को गिरवी रखकर 12 मिलियन डॉलर की रकम जुटाई है. इस पैसे का इस्तेमाल सैलरी बांटने के लिए किया गया. रविंद्रन ने न सिर्फ अपना बल्कि परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले घर भी गिरवी रख दिए हैं. शिक्षा के क्षेत्र की दिग्गज कंपनी बायजू इस समय भयंकर कैश संकट का सामना कर रही है. 


कंपनी ने साधी चुप्पी 


हालांकि, अभी इस बारे में कंपनी या रविंद्रन के ऑफिस ने खुलकर कुछ नहीं बताया है. स्टार्टअप ने सोमवार को यह पैसा बायजू की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Think and Learn Private Limited) को सौंप दिया, जिससे सैलरी बांटी जा सकी. कंपनी को बचाने के लिए रविंद्रन भरसक कोशिश कर रहे हैं. 


पैसों की किल्लत से जूझ रही कंपनी 


बायजू को कभी इंडिया का सबसे मूल्यवान टेक स्टार्टअप बताया गया था. पैसों की किल्लत को दूर करने के लिए कंपनी ने अपने अमरीका स्थित डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म को 400 मिलियन डॉलर में बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह संकट तब शुरू हुआ, जब बायजू 1.2 बिलियन डॉलर के के टर्म लोन की ईएमआई चुकाने में असफल रही.  


5 बिलियन डॉलर थी रविंद्रन की दौलत 


रविंद्रन की संपत्ति करीब 5 बिलियन डॉलर आंकी गई थी. व्यक्तिगत स्तर पर 400 मिलियन डॉलर का कर्ज ले चुके हैं. इसके लिए उन्होंने कंपनी में अपने सारे शेयर दांव पर लगा दिए हैं. साथ ही डूबती कंपनी को बचाने के लिए उन्होंने करीब 800 मिलियन डॉलर वापस लगा दिए हैं. इसके चलते अब उनके पास कैश नहीं बचा है. 


बीसीसीआई ने भी कोर्ट में घसीटा 


बायजू अपनी तरक्की के दिनों में भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) की स्पांसर भी बन गई थी. हालांकि, बाद में उसने टीम इंडिया की जर्सी पर से अपना नाम हटा लिया. फिलहाल बीसीसीआई और बायजू कानूनी विवादों में फंस गई हैं. इस मामले की सुनवाई नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में चल रही है.


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